व्यक्तित्व का विकास - सफल व्यक्तित्व । PERSONALITY DEVELOPMENT - Successful Personality

किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व की चर्चा हम दिन-प्रतिदिन करते ही रहते हैं। यह हम मनुष्यों का स्वभाव है कि हम किसी अन्य मनुष्य को देख कर उसके लिए अपनी राय अक्सर बना लेते हैं कि वह मनुष्य किस प्रवृत्ति का है, उसका व्यवहार कैसा है यहाँ तक की उसका व्यक्तित्व भी हम यूँ ही निर्धारित कर देते हैं। खैर हम व्यक्तित्व की बात कर रहे हैं तो हम अक्सर असफल और निराश मनुष्यों के संबंध में आंतरिक मंथन अथवा गणना करने लगते हैं कि यदि उस मनुष्य का व्यक्तित्व उत्तम होता तो वह अवश्य सफलता प्राप्त करता और परमानंद की अनुभूति करता। अब मंथन तो हो गया और निष्कर्ष भी प्राप्त हो गया किंतु प्रश्न शेष रह गया कि आखिर व्यक्तित्व है क्या?

समान्यतः हम किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को उसके बाहरी पक्ष के आधार पर निर्धारित करते हैं, जिसमें उस व्यक्ति की आम बोल-चाल, उसका व्यवहार, उसकी आदतें, रहन-सहन, समाज में उसका उठना-बैठना आदि होते हैं। अब क्योंकि यह सब उस व्यक्ति का बाहरी पक्ष है और हम सभी को प्रदर्शित होता है, साथ ही इन्हीं तथ्यों से किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रथम प्रभाव भी पड़ता है। मगर स्मरण रहे यह संपूर्ण व्यक्तित्व नहीं है अतः हम किसी व्यक्ति के असल व्यक्तित्व का निर्धारण अथवा पहचान केवल बाहरी तथ्यों के आधार पर नहीं कर सकते। व्यक्तित्व का अन्य पहलू भी होता है जो प्रत्यक्ष नहीं होता, जिसे हम उपरोक्त तथ्यों की तरह देख नहीं सकते।
व्यक्तित्व का यह आंतरिक पहलू हृदय एवं आत्मा से जुड़ा होता है जिसमें व्यक्ति के गुणों अथवा दुर्गुणों का प्रभाव होता है। व्यक्ति का सामर्थ्य, दया, दक्षता, अवचेतना, प्रेम, सकारत्मकता, दुष्टता, अहंकार, लोभ, छल-कपट और नकारात्मकता आदि का ज्ञान तब तक संभव नहीं होता जब तक कि हम उस व्यक्ति के साथ रहें न, या की लंबा समय व्यतीत न करें, या फिर उस व्यक्ति द्वारा किये गए कार्यों एवं व्यवहार का सही तरह से विश्लेषण न कर लें।
अब जबकि आप किसी व्यक्ति के आंतरिक एवं बाह्य विशेषताओं का विश्लेषण कर चुके हैं तो आप संभवतः उस व्यक्ति के असल व्यक्तित्व को जान पाएंगे। आप यह प्रक्रिया स्वयं के व्यक्तित्व को पहचानने के लिए भी कर सकते हैं और प्राप्त विश्लेषण के आधार पर व्यक्तित्व के विकास में आवश्यक कमियों को दूर कर अपने सफल व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं।

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अब प्रश्न आता है कि सफल व्यक्तित्व क्या है?(Now the question comes that what is a successful personality?)

देखिये एक अच्छा व्यक्तित्व निःसंदेह जरूरी है किंतु इसका अर्थ केवल अच्छा व्यक्ति होना नहीं होता, अपितु जो आपके उद्देश्य हैं, लक्ष्य हैं उन्हें सफलता पूर्वक प्राप्त करना भी है। यदि आप एक सफल व्यक्तित्व के स्वामी बनना चाहते हैं तो आपको सही लक्ष्य का निर्माण कर, उस लक्ष्य को प्राप्त करना ही होगा। सत्य है की सफलता सबको प्राप्त नहीं होती, कितने ही प्रयास और मेहनत बेकार हो जाती है। हर व्यक्ति सफलता के स्वपन देखता है किंतु स्वपनों को साकार करने के लिए योजनाओं की आवश्यकता होती है और योजनाएं तभी सफल होती हैं यदि हम उन्हें योजनाबद्ध तरीके एवं सलीके से ही करें। आईये जानते हैं उन सभी विषयों के संबंध में जो सफल व्यक्तित्व का आधार हैं।

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सफल व्यक्तित्व का आधार (Foundation of Successful Personality):

आत्मविश्वास (Self-Confidence): जी हाँ, आपका आत्मविश्वास ही आपके सफल व्यक्तित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय है। किसी भी कार्य को करने, उसके विषय में सोचने और उसमें सफल होने का विश्वास जब तक आपके स्वयं के भीतर नहीं होगा तब तक वह कार्य और उसकी सफलता कुछ भी संभव नहीं हो सकता। आपको अपने सामर्थ्य, अपनी मेहनत और विषय की जानकारी पर पूर्ण रूप से विश्वास होना चाहिए। किसी भी प्रकार की चुनौती को पूरा करने के लिए यह अतिआवश्यक है कि आप उसके लिए योजना तैयार करें और अपनी काबिलियत को ध्यान में रख कर सफलता और असफलता के नतीजों पर विचार करें। भाग्य के भरोसे न बैठें और आत्मविश्वास के साथ योजनानुसार कदम बढ़ाएं।

अपनी वास्तविकता बनाये रखें (Keep Yourself Real): देखिये प्रकृति ने हमें एक समान बनाया है किंतु हमें कोई न कोई असामान्य एवं असाधारण गुण भी अवश्य दिया है जो हमें बाकी सभी से अलग बनाता है। यदि आप भी इस सत्य को स्वीकारते हैं तो स्मरण रहे आपकी यही वास्तविकता, आपका यही अनोखापन और प्रकृति समाज को आपकी और आकर्षित करती है और उनका रुझान बढ़ाती है। तो केवल सफल प्राप्त करने हेतु या अपनी बात मनवाने हेतु किन्हीं अन्य व्यक्तियों के व्यवहार, गुणों एवं सोच की नकल करना उचित नहीं है। एक तो यह आपको बनावटी बना देगा, दूसरा की आपके अवास्तविक होने के कारण कोई अन्य आप पर यकीन नहीं करेगा। इसलिए सफल व्यक्तित्व के महानुभावों का अनुसरण करें किंतु पथ स्वयं का चुने और अपनी वास्तविकता सदैव बना कर रखें।

वेशभूषा संवारे (Well Dressed): देखिये निःसंदेह हम जानते हैं कि किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व केवल आंतरिक या बाह्य नहीं अपितु दोनों के समनव्य से बनता है। लेकिन इसके बावजूद आपकी वेशभूषा या यूँ कहिये की आप किसी अन्य के समक्ष स्वयं को कैसे प्रस्तुत करते हैं इस पर भी आपके व्यक्तित्व की गुणवत्ता निर्भर करती है। आप एक अच्छे व्यक्तित्व के स्वामी हैं इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं की आपकी वेशभूषा का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, आपको ध्यान देना होगा कि आप जिस कार्यक्रम अथवा अवसर में शामिल होने जा रहे हैं आपकी वेशभूषा/वस्त्र उसके अनुरूप हैं अथवा नहीं। आपकी व्यवहार कुशलता, आपकी शालीनता से प्रथम आपकी वेशभूषा प्रभाव का प्रभाव पड़ता है अतः अपनी वेशभूषा को संवारिये और समाज पर छा जाईये।

भाषा एवं हाव-भाव (Language & Gestures): अन्य महत्वपूर्ण तथ्य है आपकी भाषा और साथ ही आपके हाव-भाव। वर्तमान समय में यदि आप मृदुभाषी हैं, आपकी भाषा में शालीनता एवं नियंत्रण है तो आप अपना काम निकलवा कर किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम हैं। किंतु इसके साथ ही आपको अपने शारीरिक हाव-भाव पर भी ध्यान देना होगा। आपके हाव-भाव से कोई भी अन्य व्यक्ति आपके विषय में जान सकता है कि आप किस तरह के व्यक्तित्व के इंसान हैं। आपके उठने बैठने का सलीका, किसी की बात को ध्यान से सुनने की क्षमता, किसी अन्य का अभिवादन करने अथवा वार्तालाप के दौरान आँखों का संपर्क, यहाँ की हाथ मिलाने या प्रणाम करने का तरीका भी आपके व्यक्तित्व को परिभाषित करता है। अतः अपनी भाषा एवं हाव-भाव में ऐसे सभी गुणों का विकास करना चाहिए जो हमारे व्यक्तित्व को निखारें और जो भी आदतें अथवा हाव-भाव अशोभनीय हों, उन्हें पूर्णरूप से दूर करें और उत्तम व्यक्तित्व को धारें।

अच्छे वक्ता बनें (Be a good Speaker): उपरोक्त तथ्यों के पश्चात व्यक्तित्व में जो महत्वपूर्ण है वह है की आप लेखन एवं बोधन में कितने कुशल हैं। जब बात लेखन की आती है तो हम देखते हैं अधिकांश समय लिखित संचार के वक्त हम सभी अत्यधिक रचनात्मक होते हैं और सामान्यतः हम सभी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं किंतु यह काफी नहीं हैं। हमें अपनी वार्तालाप अथवा मौखिक कला को भी उत्कृष्ट बनाने का प्रयतन करना चाहिए। आपको ध्यान देना होगा की आप सामान्य वार्तालाप में किस प्रकार के हाव-भाव का उपयोग कर रहे हैं। प्रभाव स्थापित करने के लिए आपको अच्छे शब्दों का चयन करना होगा, साथ ही आप अपने विचारों को कितनी सहजता से व्यक्त करते हैं वह भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। एक अच्छी और सफल वार्तालाप के लिए केवल वाकपटु होना ही आवश्यकत नहीं हैं, अन्य को भी अपने विचार व्यक्त करने का अवसर देना चाहिए और विषय पर ध्यान केंद्रित होने के साथ ही पकड़ बना कर रखनी चाहिए। यदि कोई गलत भी है तो उनकी बात बीच में न काटकर उनकी बात समाप्त होने की प्रतिक्षा करें और फिर स्वतंत्रता पूर्वक अपने विचार प्रकट करें। इससे आपकी उपलब्धि बढ़ेगी और सफलता प्राप्त होगी।

व्यवहार कुशल बनें (Be Tactful): किसी अन्य पर अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ने के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि आप व्यवहार कुशल हों। उपरोक्त तथ्यों की भाँति ही व्यवहार कुशलता भी आपके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग होती है। आपकी आदतें, परिस्थितियां एवं आपकी प्रवृत्ति मिलकर आपके व्यवहार को प्रभावित करती हैं। अतः आप सफल व्यक्तित्व का विकास किस प्रकार करते हैं और किसी अन्य के समक्ष कैसे प्रदर्शित करते हैं यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

कुछ नया सीखें (Learn Something New): जीवन निरंतर चलते रहने का नाम है, परिवर्तन ही जीवन का मूल सिद्धांत है। यदि आप चाहते हैं की समाज का रुझान आपमें हो तो यकीनन आपको अपने ज्ञान के क्षेत्र का विस्तार करना होगा। आपको एक समृद्ध समाज के योगदान में नवीन संभावनाएं एवं अवसरों का निर्माण करना होगा। और यह सब तभी संभव है जब आप अपने ज्ञान के भंडार को बढ़ाएंगे। अलग अलग क्षेत्रों में रुचि, उनकी जानकारी और मुद्दों पर आपकी पकड़ होनी चाहिए। जो हमें आता है केवल वही पर्याप्त नहीं है, हमें अन्य विषयों के संबंध में भी सीखना चाहिए और अनुभव प्राप्त करना चाहिए। इस प्रकार हम समाज से और साथ ही अपने प्रतियोगी से हमेसा ज्यादा गुणी, शिक्षित एवं आगे रहेंगे।

मिलनसार स्वभाव अपनायें (Have a Friendly Attitude): देखिये एक अच्छे व्यक्तित्व या सफल व्यक्तित्व का आशय यह बिल्कुल नहीं की आप किसी अन्य से कुछ न सीखें और उन्हें कमतर आँके। श्रेष्ठ व्यक्तित्व हमेसा किसी अन्य से सीखने या जानने के लिए ललायित रहता है अतः आपको मिलनसार स्वभाव का आलिंगन करना चाहिए। जब आप समाज के अन्य लोगों से मिलते हैं, उनसे बात करते हैं, उनके विचार सुनते हैं तो आपको अपनी कमियाँ या खूबियां बेहतर समझ आती हैं। आप विचार व्यक्त करने की और व्यवहार कुशल आदि बनने की नवीन कलाओं का अनुभव प्राप्त करते हैं। आप विभिन्न संस्कृतियों, विचारों एवं क्रियाकलापों से और भी बहुत कुछ सीखते हैं जो आपके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने में सहायता प्रदान करते है। इसलिए सफल व्यक्तित्व के निर्माण के लिए, व्यक्तित्व में निहित कमियों को दूर करने के लिए और साथ ही अपनी सीमाओं को जानने और समझने के लिए नये-नये लोगों से मिलिए, उनसे बातें कीजिये और उनके विचारों को जानिए।

सकारात्मक बने रहें (Stay Positive): जिनका दृष्टिकोण नकारात्मक होता है वह सदैव ही असफलता, नाउम्मीद, समस्याओं, व्यथाओं, पीड़ा और मायूसी से घिरा होता है। संभवतः उनके विषय में जान लेने के पश्चात कोई पुनः ऐसे लोगों से संबंध नहीं रखना चाहता। किंतु यदि कोई सकारात्मकता से परिपूर्ण होता है तो वह स्वयं के साथ-साथ समाज के अन्य लोगों को भी उम्मीद, धैर्य, साहस, मेहनत और सफलता की चाह से ऊर्जावान बना देता है। और समाज में लोकप्रियता हासिल कर समाज के एक बड़े वर्ग से घिरा रहता है। सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य सकारात्मकता ही है अतः परिस्थिति कैसी भी हो, यदि आपको सफल होना है और सफल व्यक्तित्व का स्वामी बनना है तो सदैव सकारात्मक बने रहें, इसके अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं।

हास-परिहास अपनायें (Humorous Behaviour): देखिये किसी लक्ष्य के प्रति आपकी गंभीरता एवं गंभीर स्वभाव दोनो ही अलग हैं। असल में आप किसी भी लक्ष्य एवं उसके लिए होने वाली मेहनत एवं अन्य जरूरी कामों के प्रति गंभीर हों यह वास्तव में अच्छी बात है। परंतु स्वभाव से यदि कोई मनुष्य गम्भीर होता है तो लोग उनसे जुड़ने में कतराते हैं। क्योंकि गंभीर स्वभाव के लोग हंसी मजाक नहीं करते और अधिक चिंतन में रहते हैं। इसलिए लोगों को स्वयं से जोड़ने के लिए हास-परिहास भी आवश्यक है। लोग ऐसे व्यक्ति से ज्यादा बात करना पसंद करते हैं जो अपनी बातों और तर्को से उन्हें हंसा सके, गुदगुदा सके। अतः हास-परिहास का गुण आपके व्यक्तित्व को फीका नहीं होने देता। और आप सफलता पूर्वक समाज के लोगों पर अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ने में सफल होते हैं।

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