सफलता - अंतहीन आत्मसंतुष्टि | SUCCESS - Endless Complacency



इस धरा पर जन्म लेने वाले हर मनुष्य के साथ ही जन्म होता है, इच्छाओं का, महत्वाकांक्षाओं का, गुणों का, अवगुणों का, जीत का, हार का, सुख-दुःख का, हंसी का, रुदन का, गिरने का, संभलने का, संतुष्टि-असंतुष्टि का और साथ ही सफलताओं और विफलताओं का। मनुष्य चाहे किसी भी वर्ग का हो अथवा वर्ण का, हर मनुष्य अपने जीवन में कुछ प्राप्त करना चाहता है। कुछ की जरूरतें होती हैं, कुछ की मजबूरियाँ, कुछ का रुझान होता है और कुछ केवल कुछ नया करने की चेष्टा के अधीन होकर कुछ न कुछ प्राप्त करने के लिए जीवन में कड़ा परिश्रम और संघर्ष करते हैं। अंततः या तो वह लक्ष्य या वस्तु प्राप्त होती है अथवा नहीं और अंत में निष्कर्ष ही तय करता है कि आपने जो संघर्ष या परिश्रम किया है आप उसमें सफल हुए हैं या असफल।

आखिर, सफलता क्या है? (What is Success?):

सफलता आपको सदैव संतुष्ट करती है, आपमें नवीन चेतना और सकारात्मकता भर देती है किंतु यदि आप असफल हो जाते हैं तो हताश हो जाते हैं, आपने जितना भी परिश्रम किया हो आप उससे संतुष्ट नहीं हो पाते और सदैव ही असंतुष्ट रहते हैं।
अर्थात मनुष्य द्वारा किसी लक्ष्य या वस्तु की प्राप्ति के लिए किये गए परिश्रम एवं संघर्ष से प्राप्त संतुष्टि का अंतिम प्रतिफल सफलता है। सफलता आपको सदैव आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती है, आपमें आत्मविश्वास और ज्ञान बढ़ाती है। यदि आप किसी भी कार्य अथवा लक्ष्य प्राप्ति में सफल होते हैं तो यह केवल आपको संतुष्ट ही नहीं करता अपितु आपके व्यक्तित्व पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

कहिये, सफल कौन है? (Who is Successful?):

देखिये जीवन भी वक्त की तरह निरंतर चलता रहता है, अंतर केवल इतना है कि वक्त अंतहीन है और जीवन का अंत निश्चित है किंतु यदि हम चाहें तो अपने कर्म, व्यवहार, श्रम, लगन आदि की सहायता से चिरकाल तक लोगों के दिलों और इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। हमें समझना होगा की हमें जो भी लक्ष्य प्राप्त करना है उसके लिए एक निश्चित अवधि ही प्राप्त है, अपने परिश्रम, लगन और विवेक के दम पर हमें हमारा ध्येय पूरा करना होगा। हमारा जीवन केवल जन्म से मृत्यु का निरस सफर न होकर, उपलब्द्धियों और रोचकताओं से अलंकृत होना चाहिए। जीवन वही है जिसमें संघर्ष हो, संघर्ष का महत्व तभी है यदि उसका कुछ उद्देश्य हो, उद्देश्य वही है जिसकी प्राप्ति से संतुष्टि मिलती हो और संतुष्टि तभी मिलती है जब आपका ध्येय पूर्ण हो जाए। अर्थात जिनका ध्येय पूर्ण हो जाता है असल में वही सफल होते हैं। (Those whose goal is fulfilled, in reality they are successful).

समझिये, सफलता के लिए क्या जरूरी है? (What is necessary for Success?):

सफलता के लिए क्या जरूरी है यह जानने से पहले आपको समझना होगा की सफलता क्यों जरूरी है। देखिये समाज में आप और आप ही की तरह लाखों करोड़ों मनुष्य जीवनयापन कर रहे हैं। किंतु यदि आप चाहते हैं कि समाज आपको सम्मान दे, आपकी बातें करे, आपका अनुसरण करे, आपके मरणोपरांत भी आपको याद रखे तो आपको कुछ ऐसा करना होगा जो समाज में आपको एक नयी पहचान दे, आपको प्रतिष्ठित लोगों की श्रेणि में खड़ा कर दे, आपको कोई ऐसा चमत्कार करना होगा कि सभी उसे नमस्कार करने को नतमस्तक हो जाएं, कहने का तात्पर्य यह है कि आपको कोई लक्ष्य निर्धारित करना होगा, फिर उस लक्ष्य को अर्जित कर अपनी सफलता का परचम लहराना होगा।

किंतु अब प्रश्न वही है कि सफलता के लिए जरूरी क्या है? (What is necessary for success?):

आईये हम आपको बताते हैं वह सभी जरूरी तथ्य जिनकी सहायता से आप शत-प्रतिशत सफलता का स्वाद चख पाएंगे।


क्या हम खुद को जानते हैं? (Do we know ourselves?):

देखिये आपका लक्ष्य क्या है और उसे अर्जित कैसे करना है उससे ज्यादा जरूरी है खुद को जानना। स्वयं से पूछिये की क्या वास्तव में आप खुद को जानते हैं। आपकी रूचि, आपका सामर्थ्य, आपका ज्ञान, आपका व्यक्तित्व यह सभी आपकी सफलता के प्रमुख कारक हैं और निष्कर्ष तय करते हैं। सर्वप्रथम खुद पर अध्ययन कीजिये और अपने कमजोर और मजबूत पहलुओं को समझिये। अब जब आप खुद को जान लें, समझ लें तो फिर आपको अपने लक्ष्य या वस्तु प्राप्ति हेतु जो संकट या समस्याएं आपके सम्मुख आती हैं उनसे आप आसानी से निपट सकते हैं और निराशा आपको नहीं सताती। अतः आप निरंतर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहते हैं।

क्या हम प्रयास कर रहे हैं? (Are we trying?):

देखिये सफलता के लिए साधन से ज्यादा जरूरी साधना है। आपको व्यर्थ के बहानों से बचना होगा, जो है, जैसा है उसी की सहायता से निरंतर प्रयासरत रहना होगा, चूंकि यदि आप प्रयास करते हैं तो आपको उसका फल अवश्य मिलता है। साधनों का अभाव, समाज के व्यंग, असीमित इच्छाएं आदि के दुष्प्रभाव में आकर हम या तो प्रयास करना बंद कर देते हैं अथवा औपचारिक तौर पर केवल दिखाने भर के लिए श्रम करते रहते हैं जो वास्तव में निंदनीय है। अतः पूरे मन के साथ तब तक प्रयास करते रहिये जब तक की सफलता हासिल नहीं हो जाती।

क्या हम वर्तमान में जीते हैं? (Do we live in the present?):

आपने अक्सर सुना होगा कि समय से बड़ा कोई शिक्षक नहीं होता। तो बस आपको भी समय के साथ स्तिथियों और परिस्तिथियों का आंकलन करते हुए अपनी रणनीति में जरूरी फेर-बदल करने होंगे। समय की गति को समझना होगा और समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को स्वीकार करना होगा, यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको नई संभावनाओं के साथ-साथ नये विकल्प भी प्राप्त होते जायेंगे। आपको वर्तमान के जरूरी तथ्यों एवं क्रियाओं पर नजर टिकाए रखनी होगी, भूत के अनुभवों से सीखना होगा और भविष्य से सम्भावनाएँ खोजनी होंगी। यदि इस प्रकार आप लक्ष्य प्राप्ति के लिए कोई भी रणनीति बनाते हैं तो आप निश्चित ही सफलता प्राप्त करेंगे।

हमारे आदर्श कौन हैं और हम किसका अनुसरण करते हैं? (Who are our idols and who do we follow?):

स्मरण रहे यदि आपको सफलता प्राप्त करनी है तो आपको सफल होने की अवधि तक प्रयास करने होंगे, कठिन परिश्रम और सच्ची लगन से आगे बढ़ना होगा, निराशा को खुद से कोशों दूर धकेलना होगा, किंतु क्या यह सब इतना सरल है। जी नहीं, इसके लिए आपको अपने आदर्श का चयन करना होगा, जो आपको हर परिस्थिति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, आपका मनोबल बढ़ाये, आपका मार्गदर्शन करे। आपको ऐसे महानुभावों का अध्ययन करना चाहिए, ऐसे महापुरुषों का अनुसरण करना चाहिए जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में होते हुए भी सफलता प्राप्त की, जो आपको प्रेरणा दें, जो आपकी हार पर आपको निराश न होने दें बल्कि आपकी हार से आपको सीखने के लिए प्रेरित करें। जो विषम से विषम परिस्थितियों में, चुनौतीपूर्ण घटकों में आपको दृढ़ता से आगे बढ़ना सीखायें। जिनका जीवन, हौसले और संघर्ष आपके लिए ऐसा प्रेरणास्त्रोत बनें जो आपको थकने न दें, रुकने न दें।

हिन्दी प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ें: प्रेम - निःस्वार्थ हो या स्वार्थपूर्ण हो - LOVE - Be Selfless or Selfish

क्या हमारे पास वास्तविक एवं संपूर्ण जानकारी है? (Do we have real and complete information?):

देखिये विफल होना गलत नहीं है, और किंतु विफलता के भय से प्रयास न करना अथवा मेहनत से मुँह मोड लेना वास्तव में दोषपूर्ण है। विफलता का मतलब है कि कहीं न कहीं कोई कमी रह गयी है, किसी न किसी प्रकार की कोई त्रुटि हुई है अतः हमें अपने लक्ष्य से संबंधित हर प्रकार की वास्तविक जानकारी होनी आवश्यक है। जितनी अधिक जानकारी हम प्राप्त करते जायेंगे हमारे गुण, श्रम और कार्यकुशलता में वृद्धि होती जायेगी। यह संपूर्ण जानकारी हमें अपने लक्ष्य से संबंधित पुस्तकों और लेखों का अध्ययन करने से सरलता से प्राप्त हो जायेगी किंतु साथ ही हमें अपने मूलक्षेत्र से हटकर संबंधित क्षेत्रों का भी अध्ययन करना होगा, जिससे हमारे कार्यक्षेत्र में विस्तार होगा और हमारी निर्भरता किसी अन्य पर कम हो जायेगी। साथ ही प्रेरणादायक लेखों का भी अध्ययन एवं श्रवण करते रहना चाहिए ताकि एकाग्रता बनी रहे।

क्या हम पूरी तरह समर्पित हैं? (Are we fully dedicated?):

किसी भी लक्ष्य को यदि सरलता से प्राप्त करना है तो समर्पण का भाव ही वह माध्यम है जिसके होने से जटिल से जटिल कार्य संभव होते हैं। यदि आप खुद को पूरी तरह समर्पित कर देते हैं तो आपको निश्चित तौर पर सफलता प्राप्त होती है। आपका समर्पण ही आपको आपके लक्ष्य से संबंधित जानकारी एकत्र करने में, श्रम करने में, आपको कार्यकुशल बनाने में सहायक होता है। आपकी मेहनत, लगन, कार्य, व्यवहार आदि में आपका समर्पण प्रदर्शित होना चाहिए। आप जो भी करें पूरे मन से करें, यह सोच कर करें की आपका लक्ष्य आपको हर स्थिति में प्राप्त करना है। सोते हुए सपनों का पीछा करने से उत्तम है अपने लक्ष्य को वास्तव में जियें और कठिन परिश्रम कर अपने लक्ष्य को अर्जित करें।

क्या हम स्वस्थ हैं? (Are we healthy?):

आप सभी स्वयं की उस अवस्था से भली-भाँति अवगत होंगे जब आप अस्वस्थ होते हैं। अस्वस्थ होने की अवस्था में हमारा ध्यान अथवा मन न तो किसी कार्य को करने में लगता है और न ही हमारा शरीर ही ऐसे वक्त में मेहनत करने के लिए तैयार होता है। अतः यदि हमें सफल होना है तो हमें शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रहना चाहिए। नियमित खान-पान, सही निंद्रा, व्यायाम आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ रखते हैं, जबकि अच्छा अध्ययन, संगीत एवं ध्यान आपको मानसिक तौर पर स्वस्थ रखते हैं। इसलिए यदि हमें सफल होना है तो शारीरिक एवं मानसिक रूप से हमें खुद को स्वस्थ रखना चाहिए।

देखिये समान्य जीवन में किसी लक्ष्य का निर्धारण करना, फिर उसकी प्राप्ति के लिए अपना संपूर्ण समर्पण देना, वास्तविक जानकारियां एकत्र कर, स्वयं को दोषों और निराशाओं से दूर रख, एकाग्रता के साथ कठिन परिश्रम करना, और निष्कर्ष के लिए खुद को मानसिक तौर पर तैयार करना, तदोपरांत मिलने वाली संतुष्टि हमारी सफलता को हमेसा के लिए अविस्मरणीय बना देती है। अतः कभी हार नहीं माने और जब तक की आप सफल नहीं हो जाते प्रयास करते रहें।

यह भी पढ़ें:

• आगे आने वाले ऐसे ही महत्वपूर्ण लेखों के लिए आप हमें subscribe कर सकते हैं।

Previous
Next Post »

*मास्क, सैनेटाइजर एवं 2 गज की दूरी । रखें कोरोना को दूर, करें सुरक्षा पूरी ।।
*Please follow all guidelines for COVID-19 - BE HEALTHY AND BE SAFE.

*किसी भी सुझाव एवं शिकायत के लिए आप हमें लिख सकते हैं।

Please do not enter any spam link in the comment box... Thank You..!