क्षमा - अहंकार का त्याग | FORGIVENESS - Ego Renunciation


एक ऐसा शब्द जिसको समझना उतना ही अधिक जटिल है जितना सरल इसको कहना । वर्तमान समय में इस शब्द की जो फिर्कि बनाई गयी है शायद ही कोई अन्य ऐसा शब्द हो । एक छोटा सा शब्द जो बड़ी से बड़ी गलती को, बड़ी से बड़ी लडाई को, अधिक से अधिक क्रोध को, वर्षों की कटुकता को समाप्त करने का सामर्थ्य रखता है । जो खुद में इतना अधिक शक्तिशाली है की अकेला ही संपूर्ण युद्ध को विराम लगा सकता है । एक ऐसा शब्द जो इसका संबोधन करने वाले को हमेशा बड़ा बना देता है । जो गहरे से गहरे आघात पर मरहम लगा कर रिश्तों में पुनः सामान्यता स्थापित करता है । कितनी ही शक्तियों एवं गुणों से परिपूर्ण है यह छोटा सा शब्द मगर अफसोस भौतिक दुनिया के लोग इस शब्द का चयन अब अपने स्वार्थ के अनुसार करते हैं ।

अब देखा जाता है की इस शब्द से कहाँ कितना फायदा मिल सकता है । हालांकि इसका इस्तेमाल करने से आपको कभी हानि नहीं हो सकती, मगर फिर भी या तो इसका उपयोग ही नहीं होगा या होगा तो केवल औपचारिकता अथवा स्वार्थ के लिए होगा । हम सभी जाने-अनजाने में हर रोज कोई न कोई गलती करते हैं, किंतु बहुत कम ही ऐसा होता है की हम उस गलती के लिए शर्मिंदा हों । हमारी की हुई गलतियाँ केवल हमारे लिए प्रभावशाली हों अथवा हमारी की हुई गलतियों से किसी अन्य को तकलीफ हो अथवा वह नुकसानप्रद हों तो हमारे मन और मस्तिस्क में ग्लानि एवं शर्मिंदगी के भाव जन्म लेते हैं, उन्हीं भावों से उपजे शब्द याचना या विनती का रूप लेते हैं और यही होती है - क्षमा ।

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क्षमा याचना के प्रभाव की कितनी ही कहानियाँ एवं किस्से हमने सुने और पढ़े होंगे - है न । तो आईये फिर एक कहानी पढ़ते हैं जो हमें समझायेगी क्षमा की अहमियत ।

"कमला तंग गली के नुक्कड़ पर ही एक चाय का ठेला चलाती है । पुरानी धोती, टांका लगी चप्पल, चेहरे की झुर्रियाँ, माथे की सिलवट, सूनी कलाईयाँ और जबड़े में भींचे हुए उसी के बोल स्पष्ट कर रहे थे उसकी दशा को । १०-१२ साल का एक बेटा भी था - सुंदर, जिसे वह चाह कर भी पढ़ा नहीं पा रही थी । मगर सुंदर काफी समझदार बच्चा था, गुणी, आज्ञाकारी और अपनी विधवा माँ का हर काम में हाथ बटाता । चाय, मट्ठि के झूठे बर्तन धो देता, बाजार से सामान ले आता या जब माँ नहीं होती तो ग्राहकों को चाय बना कर पिलाता ।

कमला का पति कुछ वर्षों पहले ही शराब के नशे में एक सड़क दुर्घटना में गुजर गया था । अब अकेली कमला करती भी तो क्या । बस बेटे के लिए जिये जा रही थी । उसे अपने पति, परमेश्वर एवं तकदीर सभी से शिकायत थी शायद इसलिए मुँह मुँह में बड़बड़ाती रहती थी । उसने अपने पति से कितनी ही प्रेमपूर्वक, हठ पूर्वक, क्रोधित होकर आग्रह किया था, विनती की थी कि वह शराब न पिये और अपनी बीवी बच्चों पर ध्यान दे, पर उसका पति रोज शराब पीता, रोज हाथापाई करता और नशा उतरने पर रोज क्षमा मांगता । पता नहीं यह उसका साहस था या ढोंग । उसकी जीवनचर्या एक क्रूर पशु की भाँति होती जा रही थी । वह रोज शराब पीता, रोज झगडा करता, नशा उतरने पर रोज क्षमा मांगता । पारिवारिक कलेश और आर्थिक मंदी के साथ साथ परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ उठाते उठाते २७ बरस की कमला ४० की लगने लगी थी, जब उसके पति की सड़क दुर्घटना में मौत हुई ।

कमला सुंदर से बहुत प्रेम करती थी मगर अपनी ऐसी दशा और अंद्रुनि रोष से खिजयाकर कभी कभी सुंदर को डाँट फटकार देती । सुंदर अपनी माँ की इस दशा से भलीभाँति परिचित था इसलिए नाराज होकर भी वह माँ के पास ही रहता था । फिर जब कमला का गुस्सा शांत होता तो सुंदर को पास बुलाकर माफी मांग लेती और खूब प्यार लुटाती । और था ही कौन कमला का सुंदर के सिवा । एक दिन कमला सुंदर को ठेले पर छोड़कर किसी काम से बाजार गयी थी, तो ठेले पर शराब के नशे में धुत्त २ युवक आये और सुंदर से चाय के लिए कहने लगा । सुंदर ने चाय पकाई और परोस दी । वह शराबी उससे यूँही बतियाने लगे, अब क्योंकि सुंदर का स्वभाव ही मैत्रिय था तो वह भी बातों में लग गया ।

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हसीं ठिठोली चल पड़ी, शरबियों ने उसका अच्छा खासा मनोरंजन बाँधा हुआ था कि तभी कमला भी लोट आई, उसने जैसे ही ये नजारा देखा उसके क्रोध की सीमा न रही, और उसने बिना जाने, बिना कुछ सोचे समझे सुंदर को फटकार लगानी शुरू कर दी, सुंदर जब भी अपने बचाव में कुछ कहने का प्रयत्न करता या क्षमा मांगता तो कमला का गुस्सा और बढ़ता जाता और उसे उसके पति के कुकृत्य याद आते जाते । बस गुस्सा बढ़ता गया और गुस्से-गुस्से में कमला ने सुंदर को धक्का दे दिया । धक्के से सुंदर सड़क पर पीछे से आती हुई लॉरी से टकरा गया ।

लॉरी चालक का भी ध्यान परिचालक की मधुर बातों में था, उसे भी मौका नहीं मिला की वह लॉरी को ब्रेक लगा सके । सुंदर टकराकर सड़क पर गिर गया, उसके सर से खून बहने लगा, शायद एक हाथ भी टूट गया था किंतु कमला का ध्यान उसकी तरफ नहीं था, वह चाय के बर्तनों को पटक पटक कर धोये जा रही थी, रोये जा रही थी और अपने पति, ईश्वर और तक़दीर को कोषे जा रही थी । हौ-हल्ला मचा तो कमला का ध्यान टूटा, उसके मुख से एक तीर्व चींख निकल पड़ी । ये उससे क्या हो गया था, आखिर क्यों उसने अपने क्रोध पर नियंत्रण न रख कर सुंदर की बात नहीं सुनी, उसी क्षमा याचना नहीं सुनी । वह काँप रही थी, उसकी आँखों में अंधकार का डर छा गया था क्यों की उसकी खुद की गलती से उसके जीवन का दीपक बुझने को था । उसके आँसू जम से गए थे, होंठ सूख गए थे, वह हिल भी नहीं पा रही थी । लॉरी वाला भी सहम गया, उसे अपनी भी गलती का एहसास था परंतु सुंदर की हालत देख कर वह भी खामोश ही था, खैर उसने सुंदर को उठाया और अस्पताल ले गया । वह क्षमा मांगना चाहता था किंतु उसे डर था की यदि वह अपनी गलती स्वीकार करता है और सुंदर को कुछ हो गया तो कोई उसे क्षमा नहीं करेगा और उसे पुलिस को सुपुर्द कर देगा ।

कमला हाथ जोड़े ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी साथ ही खुद को और लॉरी वाले को बुरा भला कहे जा रही थी । उसे अपनी गलती का एहसास तो था ही साथ ही उसे यह भी ज्ञात था की वह सुंदर का उपचार कराने में असमर्थ है, वह लॉरी वाले पर क्रोधित भी थी और लॉरी वाले के सुंदर को अस्पताल लाने के लिए शुक्रगुजार भी थी । लॉरी वाला भी चुपचाप एक कोने में चुपचाप बैठा था क्योंकि उसे भी अपनी गलती का एहसास था, वह भी सड़क के नियमों के पालन और अपनी जिम्मेदारी से विम्मुख्ख हुआ था । अब दोनों ही सुंदर के होश में आने की प्रतिक्षा कर रहे थे कि कब वह होश में आये और कब अपनी भूल की, अपने कर्मों की क्षमा याचना की जाए । जैसे ही चिकित्सक ने उन्हे सुंदर के होश में आने की बात कही तब जाकर दोनों की जान में जान आयी, दोनो ही बिना विलंब किये सुंदर को देखने और क्षमा मांगने के लिए उसके समीप जा खड़े हुए ।

सुंदर अब ठीक था, हाँ एक हाथ पर प्लास्टर लग गया था, पर खतरे की कोई बात नहीं थी वह जल्दी स्वस्थ हो जायेगा ऐसा चिकित्सक ने कमला को बताया था । कमला सुंदर को एकटक देख रही थी, वह पूरी तरह डरी हुई थी, उसका मन  उसके कुकृत्य के लिए उसे धिक्कार रहा था, मगर फिर भी साहस कर के वह सुंदर के पास गयी और रोते हुए सुंदर के माथे पर हाथ फेरते हुए अपने किये के लिए उससे क्षमा मांगने लगी । उसे अपनी कथनी और करनी दोनो पर बेहद अफसोस था जो उसके शब्दों और भीगी आँखों से प्रत्यक्ष हो रहा था । सुंदर अपनी माँ से नाराज नहीं था और उसे माफ कर चुका था । लॉरी वाला भी कमला और सुंदर दोनो से हाथ जोड़कर क्षमा मांग रहा था, कमला आश्चर्यचकित थी किंतु लॉरी वाला अपने सड़क के नियमों एवं जिम्मेदारी से विम्मुख्ख होने की बात बता कर उनसे आग्रह करता है की वह दोनो उसे भी क्षमा कर दें ।"

कहने का प्रयास बस इतना सा है की यदि आपको एहसास होता है कि आपसे गलती हुई है चाहे वह किसी भी प्रकार की क्यों न हो तो आप उसके लिए समय रहते क्षमा मांग लीजिये । सुंदर तो कुछ दिनों में अस्पताल से घर लौट आयेगा किंतु सभी की किस्मत में लौटना नहीं होता । कमला और लॉरी वाले की भाँति सभी को सदैव मौके नहीं मिलते अपनी कथनी और करनी पर पश्चयताप करने के, क्षमा मांगने के । तो अहं त्यागिये, साहस कीजिये और क्षमा माँगिए ।


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