देखिये मित्रता या दोस्ती क्या है? कैसी होनी चाहिए? इसके मापदंड क्या हैं? न तो कहने की आवश्यकता है न लिखने की। यह एक ऐसा अध्याय है जो हमारी सोच एवं समझ से कहीं अधिक विस्तृत है। इसका उल्लेख 2 पंक्तियों में भी किया जा सकता है और 2 कोटि जन्म भी कम पड़ जाएं इसका उल्लेख करने में।
मित्रता या दोस्ती कोई पृथक रिश्ता नहीं है अपितु यह एक पृथक भाव है, अलग एहसास है, एक अद्भुत किस्म का तालमेल है जो कभी किसी अंजान से हो जाता है और कभी कभी जिन रिश्तों में हम पहले ही बंधे हुए हैं उनमें हमें यह भाव, यह एहसास प्राप्त हो जाता है।
सरल करते हैं चलिए आप भी मानते होंगे की केवल मित्रता का ही ऐसा संबंध है जिसका चयन हम स्वतः करते हैं। और इस चयन में अधिकांश वही लोग होते हैं जिनसे हमारी सोच, हमारे गुण, हमारा व्यवहार मिलता है। कभी कभी हम उन लोगों का चयन करते हैं जो हमें अच्छे लगते हैं, जो हमारी बात सुनते हैं, हमें अच्छे बुरे की समझ कराते हैं।
किंतु कुछ ऐसे भी पल होते हैं जब हम किसी का ध्यान पाने के लिए, उनकी मित्रता पाने के लिए अथवा प्रेम पाने के लिए उनके पीछे भागते रहते हैं। यह उचित नहीं है स्मरण रहे यदि आप किन्हीं ऐसे लोगों से अंततः मित्रता कर भी लेते हैं तो उन्हें कतई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस परिस्थिति में हैं, या दर्द या तकलीफ में हैं। कुछ ऐसे भी वाकया हमारी जिंदगी में होते हैं जहाँ हमें महसूस होता है कि हमारे सच्चे मित्र या दोस्त वही लोग हैं जिनसे हमारा पहले से ही कोई अन्य रिश्ता है फिर चाहे वह भाई-बहन, माता-पिता, चाचे-ताऊ या उनके बच्चे ही क्यों न हों।
देखिये मित्रता वही है जहाँ आप निसंकोच अपनी बात, अपने जज्बात, अपनी खामियाँ, अपने दोष आदि को सहजता से कह सकें और मित्र वही है जो आपकी बातों और रहस्यों पर पर्दा रखे, आपके जज्बातों की कद्र करे, आपकी खामियों को स्वीकार कर उन्हें दूर करने की कोशिश करे, आपके दोषों से आपके चरित्र का आंकलन न करे और आपके गुणों को उभारने में आपकी मदद करे। चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ हो आपके साथ रहे, आपका साथ दे जब तक की सब कुछ ठीक नहीं हो जाता।
जीवन में मित्रों का होना उतना ही जरूरी है जितना की मौसम में बसंत ऋतु का होना, भोजन में स्वाद का होना, संगीत में सुरों का होना, इंद्रधनुष का होना, तितलियों का होना, तपती दोपहर में छाँव का होना, ठिठुरती रात में ताप का होना। ज्यादा हो गया क्या? नहीं हर वो वस्तु, हर वो बात, हर वो कारण जिसकी वजह से आपका जीवन आनंदमयी या खूबसूरत बनता है ठीक उन्हीं की तरह मित्र या दोस्त भी आपके जीवन को आनंदमयी, रोमांचक, सुंदर और सहज बनाते हैं।
अतः निर्लाज-वाणी अपने पाठकों के लिए ही जीवन से जुड़े सर्वोत्तम एवं प्रभावशाली मित्रता उद्धरण (best and most influential friendship quotes) ले कर आयी है। आशा है आप भी इन सर्वोत्तम उद्धरणों से अपने मित्रों से अपनी बात कह पाएंगे। (Hope you too will say your feelings to your friends from these best quotes).
निर्लज-वाणी के माध्यम से हम आपके लिए 20 Best Friendship Quotes लेकर आये हैं जिन्हें आप bro quotes, sis quotes, friendship quotes, dosti quotes आदि कह सकते हैं।
लबों से कुछ नहीं कहता, मैं खामोश रहता हूँ.. मगर फिर भी वो मेरी हर बात समझ जाता है..।
मेरे साथ हँसता है, मेरे साथ रोता है.. अजब सी दोस्ती का गजब का नाता है..।।
बस एक सच्चा यार दे, जो मुझपे सब कुछ वार दे..।।
उधर वो बेवफा प्यार में, व्यापार कर रहा था..।
इधर इस व्यापार में मेरा, हर इक यार मर रहा था..।।
माना के दोस्त और दोस्ती अजीब होती है..।
मगर ये हर किसी को बड़ी अजीज होती है..।।
और हमारी दोस्ती जिन्हें नसीब होती है..।
उनकी किस्मत बड़ी खुशनसीब होती है..।।
न दौलत चाहिए, न रुतबा चाहिए..
मुझसे जलने वाला हर शख्श औकात में रहेगा..।
जब तक मेरे यार तु, मेरे साथ में रहेगा..।।
वो अच्छा न होकर भी बहुत अच्छा है..
बातें बड़ी करता है पर दिल से बच्चा है..।
वो होगा झूठा, फरेबी और मतलबी जमाने के लिए..
मगर उसकी दोस्ती और वो दोस्त सच्चा है..।।
दोस्ती की है.. तो जरूर निभाऊँगा..।
और मुमकिन हो तो मेरी मौत पर आँसू मत बहाना..
तुझे मुस्काते देख मैं भी.. मुस्कुराऊँगा..।।
तु लड़ ले - झगड़ ले.. या मेरा माथा फोड़ दे..।
पर ऐसा कुछ मत करना यार.. जो दिल तोड़ दे..।।
महफ़िल की जान और मातम में मुस्कान..।
दोस्ती क्या है?
मिले तो जिंदगी और न मिले तो कब्रिस्तान..।।
दोस्ती क्या है?
मिले तो जिंदगी और न मिले तो कब्रिस्तान..।।
ऐब नहीं करता..।
पर मेरा यार मुझसे कोई फरेब नहीं करता..।।
पर मेरा यार मुझसे कोई फरेब नहीं करता..।।
मगर दोस्त हर दर्द में, हँसना सिखाते हैं..।।
मैं पास जाऊँ तो खुदसे दूर करता है..।
और देता है मशवरे कि जीना कैसे है..
बस उसकी इसी अदा पे दिल गरूर करता है..।।
और देता है मशवरे कि जीना कैसे है..
बस उसकी इसी अदा पे दिल गरूर करता है..।।
यादों की चाय में डुबाकर.. किस्सों के बिस्कुट खाते हैं..।
चलूँ मैं जिस ओर वो भी साथ चलता है..।
शिकायतें भी करता है, हिदायतें भी देता है..
आखिर दोस्ती का रिश्ता, ऐसे ही पलता है..।।
क्यों ढूंढते हो दवा मेरी.. जगह जगह दवाख़ानों में..।
कि मेरे मर्ज का इलाज है.. रूठे यार को मनाने में..।।
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