किंतु प्रयास की निरंतरता अवस्थाओं पर भी निर्भर करती है। यदि आपके पास प्रयाप्त समय है तो निश्चिंत रहिये आप एवं आपके आस-पास सभी धैर्य रख सकते हैं और आप निरंतर प्रयास कर सकते हैं, परंतु साथ ही यह तभी संभव है यदि आपको नियत कार्यों में सफलता मिल रही हो (If you are getting success in assigned tasks), इसके विपरीत यदि आपके पास अथवा आपके परिजनों या सगे संबंधियों के पास वक्त का अभाव है, और साथ ही आप अपने नियत कार्यों को पूर्ण नहीं कर पाते तो इस अवस्था में हर कोई व्याकुल हो जायेगा (यहाँ समय का तात्पर्य आपकी आयु से है)। आपकी मेहनत और प्रयास सभी कुछ बेकार लगने लगेगा और आप पर दबाव स्थापित होने लगेगा। इसलिए कोई भी सपना देखो या मंजिल का चयन यदि करो तो अपनी दिलचस्पी (Interest) के अनुसार ही करो। दिलचस्पी होगी तभी मेहनत करने में भी मन लगेगा, हार भी गए तो सीख कर फिर कोशिश करने की इच्छाशक्ति जागेगी मगर विश्वास नहीं टूटेगा और साथ ही आपका रुझान आपको आपकी मंजिल की और ले ही जायेगा।
देखते ही देखते समय तेजी से गुजर रहा था। भैया के पास पढ़ने वाले उन्हीं के सामने से नई नई मोटरसाईकिल ले कर तेज गति से निकल जाते। कल तक जिनकी तारीफ सब करते थे आज वही कानाफूसी करने लगे, जिनके बच्चे भैया से पढ़ कर कुछ बने थे आज वही भैया को नकारा सिद्ध करने में लगे थे। कुछ नहीं करता, इसका मन ही नहीं है, परिवार पर बोझ है, पढ़ता है मगर समर्पित नहीं है, रुचि नहीं है, मोटी बुद्धि है और भी जाने क्या-क्या, हर तरफ बस यही रह गया था। भैया की ७ वर्ष की मेहनत, उनके प्रयास, उनकी शिक्षा सभी कुछ उनकी असफलता और नकारी के समक्ष शून्य हो गया था। कुछ ने तो अपने बच्चों को अच्छी पढाई का हवाला देकर निजी संस्थानों में दाखिला दिला दिया। लगभग-लगभग सभी का विश्वास डगमगा गया था, अब भैया, उनकी मेहनत, उनके प्रयासों, उनके सामर्थ्य और उनके सिविल सर्विसेस के सपने पर सभी को शंका होने लगी थी। केवल भैया ही थे जो इतने प्रयासों के बाद भी हार नहीं मान रहे थे, उन्हें अब भी खुद पर यकीन था और हाँ उनके अलावा कुछ और भी थे।
सिविल सर्विसेस की परीक्षा हुई, इम्तिहान भी अच्छा हुआ, मगर अब परिणाम की उत्सुकता उतनी अधिक नहीं होती थी। लगभग ४ महीने बाद नतीजे आये, भैया बाजार में नये निर्मित एक निजी संस्थान में ८००० रुपये मासिक वेतन पर पढ़ा रहे थे। उन्हें शायद याद भी नहीं था की नतीजा आज घोषित होने वाला है। खैर उनके साथ के ही उनके एक मित्र ऋषि, जो पास में ही रहते थे उनके पास उनका अनुक्रमांक था, वह रोते हुए आये। हमारी पूरी मित्रमंडली थी जो पूरी तरह उनके ऐसे रोने पर स्तब्ध थी। पहले तो हमें लगा की परिवार में कुछ अप्रिय घटना घट गयी है लेकिन फिर पूछने पर उन्होंने पूरा वाकया बताया और हमें नगाड़े वाले को लाने को बोलने लगे। २ जन जाकर नगाड़े वाले को ले आये, और तय हुआ कि जो ऋषि भैया ने बताया है उसके बारे में किसी से कुछ न कहा जाए। बस फिर क्या था इंतजार होने लगा, अब जैसे ही मनोहर भैया आये, ऋषि भैया ने उनसे उनकी परीक्षा के परिणाम के बारे में पूछा तो मनोहर भैया के जवाब ने हम सबको हिला कर रख दिया। वो पहले हल्का सा मुस्कुराये फिर हमारी तरफ देखा और फिर थोड़ा संवेदनशील होकर बोले "भाई, क्या परिणाम, छोड़ न यार.. बेकार मेहनत किये यार ऋषि इतने वर्ष, जब नौकरी मिली थी तभी कर लेनी चाहिए थी अब देखो अब भी तो कर ही रहे हैं न।" और फिर हल्का सा मुस्कुरा दिये, मगर निराशा के भाव उनके चेहरे पर किसी घनघोर काले बादल की तरह उमड़ पड़े थे।
खैर असफलताओं ने भैया से इतना गहरा रिश्ता निभाया था की कहना ही क्या। अब जैसे ही मनोहर भैया ने घर के भीतर जाने के लिए कदम बढ़ाया, ऋषि भैया ने रोते हुए उन्हें खींचकर गले लगा लिया। मनोहर भैया समझ नहीं पा रहे थे। इधर हमने भी देर न करते हुए नगाड़े वाले को नगाड़ा बजाने का इशारा किया। देखते ही देखते हुजूम इकट्ठा हो गया। ऋषि भैया ने ही मनोहर भैया को उनकी परीक्षा का परिणाम बताया और उनके सिविल परीक्षा को देशभर में तीसरे पायदान पर रहकर उत्तीर्ण करने के लिए बधाई दी। मनोहर भैया को यकीन ही नहीं हो रहा था जैसे ही ऋषि भैया ने उनकी अंकतालिका दिखाई मनोहर भैया की आँखे खुशी से चमक उठी और जैसे काले गरजते बादलों से जल बरसता है बिल्कुल वैसी ही स्थिति थी मनोहर भैया की। उनकी मेहनत और प्रयास उन्हें उनकी मंजिल तक ले आये थे। मनोहर भैया बहुत रोये, साथ ही उनका परिवार, सारे अड़ोसी-पड़ोसी, और हम सब भी। लेकिन सभी मनोहर भैया की मेहनत, प्रयासों और सफलता से उत्साहित होकर रोये, उनके विश्वास और समर्पण से प्रेरित होकर रोये। आज जिन्हें भी पता चला वही मनोहर भैया को बधाई देते और तारीफ करते नहीं थक रहे थे। उन्होंने आखिरकार अपना लोहा मनवा ही लिया था।
देखिये यदि आपने लक्ष्य निर्धारित कर ही लिया तो समय रहते उस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास कीजिये, क्योंकि समय का अभाव या यूँ कहें की आपकी बढ़ती आयु आपको निराश कर सकती है, आपका मनोबल तोड़ सकती है और आपको अपने लक्ष्य से समझौता करने के लिए मजबूर कर सकती है, अतः समय रहते अपने लक्ष्य से संबंधित सभी तरह की छोटी से छोटी और महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र कीजिये, खुद के व्यक्तित्व का विकास कीजिये, आपने आचरण एवं सामर्थ्य पर जरूरी काम कीजिये। स्वयं को प्रोत्साहित एवं ऊर्जावान रखने के लिए किताबों और उपदेशों का सहारा लीजिये और सबसे अहम अपनी रुचि का क्षेत्र चुने या यूँ कहिए की खुद से पूछे कि आप किसमें या क्या करने में अच्छे हैं। यदि आप शुरुआती दौर में असफल भी हों तो घबराएं नहीं बल्कि पुनः प्रयास करें। आपकी मेहनत, लगन और निरंतर प्रयास ही आपको सफलता दिलायेंगे।
अन्य लेखों में आप सफलता के लिए जरूरी तथ्यों के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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